गंगा प्रसाद विमल

गंगा प्रसाद विमल (Ganga Prasad Vimal)

(माताः श्रीमती कला देवी, पिताः स्व. विश्वम्भर दत्त उनियाल)

जन्मतिथि : 3 जून 1939

जन्म स्थान : उत्तरकाशी

पैतृक गाँव : टिंगरी जिला : टिहरी गढ़वाल

वैवाहिक स्थिति : विवाहित बच्चे : 1 पुत्र, 1 पुत्री

शिक्षा : टिंगरी में बालपन में अपने चाचा से संस्कृत भाषा की दीक्षा ली। सर्दियों में जब बर्फ पड़ी रहती चार बजे वेद उच्चारण के लिए मिली भत्र्सना के कारण संस्कृत से अरुचि। फिर एक अंग्रेज और स्व. भगवती प्रसाद सकलानी से अक्षर दीक्षा ली। फिर विभिन्न विद्यालयों, विश्वविद्यालयों में शिक्षा प्राप्त की। 1960 में पंजाब विश्वविद्यालय से एम.ए. में सर्वोच्च अंक प्राप्त कर रिकार्ड स्थापित किया। 1964-65 में वहीं से पीएच.डी. की।

जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ः अपनी मूर्खताओं से लड़ते हुए साहित्य की ओर आया।

प्रमुख उपलब्धियाँ : अभी तक उल्लेखनीय कुछ नहीं। न जाने किस कारण कुछ पुरस्कार मिले। तीन दर्जन के करीब पुस्तकें छपीं। देश में रहकर अनेक विदेशी कृतियों का अनुवाद किया। अनेक देशों में वहां के विश्वविद्यालयों में व्याख्यान दिए। देश-विदेश के अनेक साहित्य सम्मेलनों में हिस्सेदारी। देश-विदेश की अनेक पत्र-पत्रिकाओं के संपादक मंडल के सदस्य। बल्गारिया का यावरोव सम्मान, इटली के कला विश्वविद्यालय का सम्मान, पोयट्री पीपुल सम्मान तथा केरल का कुमारन आशान सम्मान से अलंकृत। 25 वर्ष दिल्ली कालेज में अध्यापन, फिर साढ़े आठ वर्ष केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय के निदेशक और अब जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में प्रोफेसर।

युवाओं के नाम संदेशः उत्तरांचलवासी अलग ढंग से उच्चता के शिखर निर्मित करें, जिससे वे पूरे विश्व में अलग दिखाई दें। इसके लिए हर संभव कोशिश करनी होगी। मेहनत और त्याग तथा लक्ष्य के निमित्त समर्पण अनिवार्य है।

विशेषज्ञता : साहित्य, लेखन, संपादन।

नोट : यह जानकारी श्री चंदन डांगी जी द्वारा लिखित पुस्तक उत्तराखंड की प्रतिभायें (प्रथम संस्करण-2003) से ली गयी है।

Related posts

Leave a Comment